डायरी सखि,
कहने को तो सब कहते हैं कि देश में बेईमानी बहुत है । ईमानदारी कहीं नहीं है । पर क्या एकमात्र यही सत्य है सखि ? मेरा प्रश्न है कि किसे चाहिए ईमानदारी ?
आजकल उत्तर प्रदेश में "महा भूचाल" आया हुआ है । कारण वही है । "ईमानदारी" । अगर सूबे का मुखिया ईमानदार होगा , जिसका पूरा देश ही परिवार हो, उसे किसी के लिए धन संग्रह करने की क्या आवश्यकता होगी ? ईमानदारी शब्द बोलने , सुनने में बड़ा प्यारा लगता है । पर मूल प्रश्न वही है कि किसे चाहिए ईमानदारी ? उन्हें जो एक "पव्वे" में अपना वोट बेच देते हैं ? उन्हें जो मुफ्त की बिजली , पानी के लिए देश को श्री लंका जैसा बना देना चाहते हैं ? अपने गलत काम करवाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं ? स्थानांतरण, पदस्थापन, प्रोन्नति के लिये सब कुछ गिरवी रख देते हैं ? फिर किसे चाहिए ईमानदारी ?
बस, यही कारण है कि उत्तर प्रदेश में हड़कंप मचा हुआ है । "मुखिया ईमानदार है तो क्या हुआ , हम तो बेईमानी करेंगे । इसके बिना हमारा हाजमा खराब रहता है" । यह सोचना है कुछ मंत्रियों , अधिकारियों और कर्मचारियों का । किसी को "बंदरबांट" में हिस्सा चाहिए तो किसी को पूरी थाली ही चाहिए ।
एक मंत्री हैं दिनेश खटीक । कहते हैं कि उनकी बात कोई नहीं सुनता है क्योंकि वह दलित समुदाय से हैं । आजकल आरोप लगाने के लिए तीन बिन्दु बहुत आसान है सखि । एक , वह दलित है , दूसरा वह अल्पसंख्यक है और तीसरा वह महिला है । बस, इस आधार पर सामने वाले को कटघरे में खड़ा कर दो । उसे फांसी पर चढा दो । चारों तरफ यही वितंडावाद चल रहा है आजकल । कोई व्यक्ति दस साल तक उप राष्ट्रपति रहने के बाद भी आरोप लगा देता है कि उसे इस देश में डर लगता है । अरे भाई , उस देश में चले जाओ जहां डर नहीं लगता हो । पर नही, खायेंगे भी यहीं का और गंद भी यहीं फैलायेंगे । ऐसे लोग ही देश को बदनाम कर रहे हैं सखि ।
लोग कह रहे हैं कि कुछ मंत्रियों ने या उनके "खास" अधिकारियों ने स्थानांतरण में पैसा खाया है । मेरा कहना है सखि कि कुछ लोग तो चारा ही खा गये थे । इन लोगों ने तो कम से कम पैसा ही खाया है । चारा तो बख्श दिया कम से कम । योगी जी ने इस पर जांच बैठा दी है । ये ही बात पसंद नहीं आई हमें सखि । " घूस खाना मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं घूस खाकर ही रहूंगा" यह नारा आजकल सबका प्रिय नारा बन गया है सखि । सब लोग इस नारे को प्राण पण से फलीभूत करने का प्रयास कर रहे हैं । मगर योगी जी इस नेक काम में अड़ंगा डाल रहे हैं । यह अच्छी बात नहीं है योगी जी । भगवान महावीर के जीवन दर्शन "जीओ और जीने दो" की तरह कलियुग का दर्शन "खाओ और खाने दो" पर कुठाराघात मत करो योगी जी । सारी लड़ाई सत्ता रूपी मलाई चट करने के लिए ही तो है ।
देखते हैं सखि कि यह जो भ्रष्टाचार रूपी चक्रव्यूह सजा हुआ है इसे क्या योगी जी भेद पाएंगे या वे अभिमन्यु की तरह वीरता पूर्वक युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हो जाएंगे । मुझे योगी जी की प्रतिभा पर पूर्ण विश्वास है सखि ।
आज के लिए इतना ही । कल फिर मिलते हैं सखि ।
श्री हरि
21.7.22
Radhika
09-Mar-2023 12:38 PM
Nice
Reply
Rahman
24-Jul-2022 11:05 PM
👏👏
Reply
Saba Rahman
24-Jul-2022 11:38 AM
😊😊😊
Reply